काशिनाथामृत प्रथमाध्याय

                                                             II  श्री काशिनाथामृत  II

                                                                        प्रारंभ. 

                                                                        II  ॐ II 

                                                 काशिनाथामृत प्रथमाध्याय ( ओवी संख्या १ ते ३७२ )

ओंकार बिंदू संयुक्त I नित्य ध्यायन्ती योगीनाः II कामदं मोक्षदं चैव I ओंकाराय नमो नमः II ०१ II  ॐ नमो गणनायका I गजवदना गजानना II ॐ नमो काशिनाथा काशिलिंग नामधारका II ०२ II तुज वंदू जनार्दना I जगद उद्धारक तू नारायणा II अवतार घेवूनी भूमीवरी I जण कल्याणा भक्त उद्धारा II ०३ II धन्य धन्य तुझी लीला I गुरु माउली जन्म दातारा II सांभाळ करीशी जीव मात्रा I ज्ञानामृताच्या 

                                                                     काशिनाथामृत                                            पान. क्र ~  ६  ~

प्राशने II ०४ II तुजनमो श्री गुरुराया I वंदन भावे करीतसे II ॐ नमो श्री गुरु माउली I ज्ञानामृताची तू सावली II ०५ II देह कष्टवी परोपकारे I निजानंदी प्रगटूनी II भक्तालागी पावन करसी I बोधामृताच्या प्राशने II ०६ II उपदेश करुनी जन मानसी I ज्ञान दिधले गुरुराया II सगुण रूप धारण करुनी I दर्शन दिधले भक्तजना II ०७ II अगाध लीला तुझी माऊली I भक्त दाखवी परोपकारे II  अंधा दिधले दृष्टी दान I तारुन नेशी गुरुराया II ०८ II भक्तवत्सल गुरु माऊली I अगाध महिमा अपरंपारी II ॐ नमो श्री गुरु माऊली I ज्ञानदाता त्रिमूर्ती II ०९ II काशिलिंग नाम धारण करुनी I   भक्ता पावे झडकरी II ॐ नमो श्री सच्चिदानंदा I सप्तजन्मीचे दोष निवारका  II १० II त्रिगुणात्मक त्रिमूर्ती गुरुराया I भक्तजन सदा वंदू II ॐ नमो गुरु काशिलिंगा I तुज नमो विश्वेश्वरा  II ११ II वाराणसी रमसी विश्वात्मका  I गुप्त रूपे धारण करुनि II ॐ नमो सद्गुरू विश्वंभरा I अहोरात्र कष्टशी जनार्दना II १२ II परोपकारे जन कल्याणा I सद्गुरूनाथा काशिनाथा II  ॐ नमो दीनानाथा I त्रिमूर्ती प्रभू देवराया II १३ II आसनस्थ रामवाडी ग्रामी भक्ता देशी बोधामृता II 

                                                                       काशिनाथामृत                                            पान. क्र ~  ७  ~ 


नमो विश्वव्यापका  I श्री गुरु समर्था काशिनाथा II १४ II अनंत लीला दाखवी भक्ता I ॐ नमो आदिनाथा II आदी मध्य अंती तूची II भक्ता देशी नित्य सेवा II १५ II मनोकामना पूर्ण करी II भक्ता दाखवूनी अनंत लीला II उद्धरिले जन कल्याणा I ॐ नमो श्रीपाद वल्लभा II १६ II कारंजा ग्रामी अवतरुनी I भक्ता दिधले ज्ञानार्जन II उध्दार करण्या भक्त गणा II  ॐ नमो माणिक प्रभू देवराया II १७ II हुमनाबादी अवतरलासी I अनंत लीला दाखविसी II धन्य धन्य तू प्रभू  I    ॐ नमो स्वामी नृसिंह सरस्वती  II १८ II भीमा अमरजा संगमी I अवतीर्ण झाला गाणगापुरी II भक्त रक्षणा श्री गुरु दत्ता I ॐ नमो स्वामी समर्था II १९ II अक्कलकोटी वटवृक्ष स्थानी I अनंत रूपे धारण करुनी II भक्तालागी उध्दरसी I ॐ नमो गुरु काशिनाथा II २० II श्री सिद्धलिंगा यल्ललिंगा I लाखो भक्त उद्धरिले II नमो अवधूत दत्तात्रेया I दिगंबरा दिगंबरा II २१ II नमन माझे श्री गुरु माऊली I पादपद्मी चरणारविंदी II ॐ नमो पतीत पावना I अवधूत सदानंद पर ब्रम्ह  II २२ II विदेह देह रूपाय  I भक्त  वृन्दा पावन करशी  II नमो परम तत्वमसी  I 

                                                                   काशिनाथामृत                                            पान. क्र ~  ८  ~

त्रिगुणात्मक त्रयमूर्ति श्री गुरु  II २३ II भक्ता देवूनी वराद ह्स्त जगतकल्याणा भक्त वत्सला  II ॐ नमो अवधूता I श्री दत्तात्रय गुरु ब्रह्म II २४ II श्री गुरु सदा वन्दू I तुजनमो सद्गुरूनाथा II  ॐ नमो नित्य नूतन स्वरूपा  I दीनानाथा त्रिमूर्ती  II २५ II बुद्धी दाता भगवंता  I मनोकामना पूर्ण करी  II ॐ नमो करुणाकरा II ज्ञानदाता परमपिता II २६ II अवतार घेवूनी युगांतरी I पावन करसी भक्तजना  II उध्दरूनी नेशी भक्तजना  I तुजनमो काशिनाथा  II २७ II गुप्त राहसी भूमीवरी  Iचैतन्य प्रकाश दाखवी जना  II ॐ नमो परब्रह्म स्वरूपा I प्रगटलासी सद्गुरुनाथा II २८ II जन्मोजन्मीचे पाप हरण्या I तूची असे श्री गुरुराणा  II ॐ नमो काशिनाथा  I काशिलिंग महा प्रभू  II २९ II करुनी देह धारण I क्षेत्र रामवाडी ग्रामी कर्मरत II  भक्ता देवूनी मंत्र दीक्षा I ॐ नमो श्री सद्गुरू नाथा  II ३० II स्वयं कष्टसी अहर्निशी  I प्रसाद देवूनी धुनी भस्म  II भक्ता देशी दीक्षा  I ॐ नमो  ज्योतिर्मय स्वरूपा II ३१ II त्रिमूर्ती महाप्रभू I व्याधी घेऊनी भक्तांच्या II स्वयं कष्टसी रात्रंदीन I तुज नमो सच्चिदानंदा II ३२ II श्री गुरु परमानंदा I सत चित्त आनंदा II ॐ नमो ओंकार 

                                                                 काशिनाथामृत                                            पान. क्र ~  ९  ~

 रूपा  I ब्रम्हा विष्णू महेश्वरा  II ३३ II गुरु महिमा असे अपरंपार I नाम उच्चारावे  ओंकार II गुप्त असे   ॐ स्वरूपा I भक्ता देशी बोधामृत II ३४ II साडेतीन मात्रा महामंत्र I श्री गुरु देती गुप्तस्थळी II शिष्याप्रती देवूनी अनुग्रह I उद्धरती सकल जना II ३५ II ॐ नमो गुरु माऊली I कृपामृताची लागे गोडी II काशिनाथ नाम धारका I त्रिवार वंदन तव चरणी II ३६ II बहू कष्टालो श्री गुरुराया I दर्शन दे दीनदयाळ II वरद हस्त ठेऊनी मस्तकी I पावन करुनि भक्त गणा II ३७ II अज्ञानाचा तूची विनाशक I तूची असे भव तारक II ज्ञान रूपी महा तेज I भक्ता देशी दिव्य दृष्टी II ३८ II श्री गुरु चैतन्य प्रकाशु I सकाळ मती प्रकाशु II सुबुद्धी देवूनी भक्त गणा I पवित्र करसी शिष्य गणा II ३९ II गुरु असता पदमासनी I गुरु बोध होता भक्त गणा II आत्मानंदी निमग्न असता I उपदेशती नाम महिमा II ४० II भक्ता तारण्या सत्वरी I तत्पर असती अखंडित II प्रेमानंदे दृष्टीपात करुनी I  कृपा दृष्टी त्रिकुट स्थळी II ४१ II प्रणव ध्वनी निनादे ॐ कार I ॐ नमः शिवाय नमः शिवाय II मंत्र निरोपती शिष्याप्रती I पाचवा वेद प्रणवध्वनी II ४२ II गुरु काशिनाथ नामे प्रगटूनी I


                                                                      काशिनाथामृत                                            पान. क्र ~१0   ~


भूवरी अवतरलासी महाप्रभु II  अनंत  उपकार तुझे देवराया I भक्तालागी पावन करसी II ४३ II श्री गुरु चैतन्याचा महामेरू I उपमा द्यावी कवणापरी II देवाधी देवा परमेश्वरा I अनंत लीला दाविसी जना II ४४ II  जगत कल्याणा जन उद्धारा I कलयुगी प्रगटलासी भूवरी II  संकट समयी धावूनी सत्वरी I तारण करसी भक्तगणा II ४५ II नयनी  दिसे अखंड प्रसन्न मूर्ती I मन स्थिर होते चित्त शांती II  चराचरी तूची भरलासी I पंचमहाभूते तुज ठायी II ४६ II  जीवामाजी तुझीच वस्ती I करुणा करावी विश्वव्यापका II निर्गुण रूपा निर्वीकारा I सगुण रूप धारका श्रीगुरु II ४७II  रज तम सत्व गुणाठायी I त्रिगुणात्मक त्रिमूर्ती गुरु माई II मंगल नाम तुझे काशिनाथा I काशिलिंग विश्वनाथा II ४८ II गंगातीरी वसशी प्रभूवरा I विश्वेश्वरा नाम धारका II मंगल नाम तुझे काशिनाथा I काशिलिंग  केदIरेश्वरा II  ४९ II हिमालयी वससी शिवशंकरा I केदारनामे विश्वेश्वरा II तुज नमो गुरु ब्रम्हा I सोरटी सोमनाथ सोमेश्वरा II ५० II  सागर तटी वससी शिवशंकरा I सोमनाथ नामे त्रिपुरेश्वरा II मंगल नाम तुझे काशिनाथा I काशिलिंग महाकालेश्वरा II ५१ II  उज्जयनी नगरी  

                                                                    काशिनाथामृत                                            पान. क्र ~११   ~


वससी प्रभूवरा I महंकाल नामे शिव शंकरा II मंगल नाम तुझे काशिनाथा I काशिलिंग ओंकारेश्वरा II ५२ II नर्मदा तटी ओंकार रूपा I ओंकारेश्वरा ममलेश्वरा II मंगल नाम तुझे काशिनाथा I काशिलिंग नागेश्वरा II ५३ II ओंढा नगरी  शिवशंकरा I काशिलिंग नागेश्वरा II मंगल नाम तुझे काशिनाथा I ब्रह्मगिरी त्र्यंबकेश्वरा II ५४ II विश्वनाथा शिवशंकरा I कैलासवासी महादेवा II मंगल नाम तुझे काशिनाथा Iभीमाशंकर नामे जंबुकेश्वरा II५५ II डाकिन्या भीमाशंकरा I मंगल नाम तुझे काशिनाथा II   श्री शैल्यवासी तू शिवशंकरा I शैल्य पर्वती मल्लिकार्जूना II ५६ II मंगल नाम तुझे काशिनाथा I सेतुबंधे तू रामेश्वरा II भक्ता लागी धावत येशी I महासागरी निवास तुझा II ५७ II मंगल नाम तुझे काशिनाथा II परळया वैजनाथ नामे II गोदातटी वास तुझा I वैजनाथ शिवशंकरा II ५८ II मंगल नाम तुझे काशिनाथा II वेरूळ ग्रामी घृणेश्वरा II काशिनाथ गुरु आत्मलिंगा I द्वादश लिंगामध्ये वास तुझा II ५९ II ॐ नमो सदगुरु नाथा I त्रिमूर्ती भक्त वत्सला II भक्तांसावे रमशी सद्गुरू नाथा I कृपावंत तू ब्रह्मरूपा II ६० II ॐ नमो श्री गुरु माउली I भक्ता पावसी


                                                                    काशिनाथामृत                                            पान. क्र ~१२   ~


सत्वरी II दुःखिताचे दुःख हरण्या I देह कष्टवी परोपकारी II ६१ II श्री भगवद्‌स्वरूपा त्रिमूर्ती II त्रिकुट शिखरी आरूढ II मुद्रा लावून  खेचरी I अवलोकन करसी सचिदानंद II ६२ II श्री गुरु मूर्ती परमस्वरूपा I वर्णू किती महिमा अपरंपारु II ना कवणासी कळे I श्री गुरुपाद वल्लभा II६३ II श्री काशिनाथ काशीलिंगेश्वरा I वाराणसी शिव सर्वोदया II प्राणायामे रमशी प्राणेश्वरा I अखंड असता निजानंदी  II ६४ II श्री नाथ गुरु राया कृपावंत  I दाखवीतसे त्रिकूट स्थाना  II चराचरी विलसतसे तुझीच छाया  I परम परमात्म स्वरूपा  II६५ II श्री विश्वेश्वरा विश्वनाथ महर्षी व्यास प्रतिष्ठित  II व्यास काशि गंगातटी काशिनाथ नाम धारका  II६६ II सद्गुरूनाथा परम स्वरूपा  I रामनगर नामे गंगातीर  II भक्ता देवूनी अनुग्रह  I पावन करिसी भक्त जना  II ६७  II काशिनाथ काशिलिंग प्रभू  I मनकर्णिका नित्य असे स्नान  II श्री गुरु माउली श्री वल्लभा  I गुरु माई तूची असे  II ६८  II भक्ता देउनी नाव चैतन्य  I आत्मबोध करसी गंगातटी  II भक्ता देवूनी बोधामृत  I गुरुर देवो महेश्वरा  II ६९  II जगत कल्याणा जन उद्धरा  I लच्छीराम भक्ता देवूनी अनुग्रह  II निवास असे  

                                                                  काशिनाथामृत                                            पान. क्र ~ १३   ~


वाराणसी I श्री पूजनीय गुरु माउली II ७० II भक्तजनांची जननी II दशाश्वमेघ घाटी गंगातटी II आरती करुनि गोरज मुहूर्ती I पावन करिसी भक्त जना II ७१ II श्री प्रभू  गुरु राया II भक्त जन सदा वन्दू II भिक्षान्न घेऊनी भक्ता लागी I प्रसाद देतसे भक्त जना II ७२ II श्री गुरुची होता कृपा I पावन होते  ही काया II उपदेश करती परोपकारे I सुख दुःखाच्या ठायी रमती II ७३ II श्री समर्था  जगदोद्धारका I तुज नमो भगवत स्वरूपा II विश्वनायका जगद उद्धारका I नमस्तस्ये नमो नमः II ७४ II श्री काशिलिंग काशिनाथा I भ्रमरनाद ओंकार स्वरूपा II घंटानाद वेणुनाद शंखध्वनी I गुंजारव निनादे तुझ्या ठायी II ७५ II गुरु माऊली तूची  विश्वजननी I त्रिभूवनीं विलसे प्रकाश स्वरूपा II धन्य धन्य तुझी करुणामय मूर्ती II विश्व् व्यापका  दयाघना II ७६ II श्री प्रभू काशिनाथा I विविध स्वरूपा निर्गुण रूपा II  अनंत कोटी ब्रह्माण्ड नायका I अगाध महिमा वर्णू किती II ७७ II महाचैतन्य स्वरूपा तुज नमो तुज नमो II श्री ब्रम्हरूपा विष्णू रूपा I शिवरूपा  महेश्वरा II ७८ II त्रिपुरेश्वरा महादेवा I ब्रह्मानंदम परम सुखदं  II केवलं ज्ञान मूर्ती स्वरूपा I द्वन्द्वातितं

                                                                    काशिनाथामृत                                            पान. क्र ~ १४   ~



गगन स्वरूपं II ७९ II तत्वमसी महा हिरण्य गर्भा I एकमेवा द्वितिय स्वरूपा II श्री गुरुराज गुरु माऊली I चेतना चैतन्य आत्मस्वरूपा II ८० II श्री ब्रम्हरूपा विष्णू रूपा I महेश्वरा त्रिपुरेश्वरा महादेवा II ब्रम्हानंदं परम सुखदम I केवलं ज्ञान स्वरूपा II ८१  II द्वंद्वतीतं गगन स्वरूपं I तत्वमसी हिरण्य गर्भ II एकमेवा द्वितीय स्वरूपा II सर्वधि साक्षिभूत रूपा II ८२ II श्री गुरुराज श्री गुरु माऊली I चैतन्य ब्रम्ह स्वरूपा II भक्ता देशी अखंड स्मृती I जन्मोजन्मी पावन करीसी II ८३ II श्री समर्था गुरु देवा I महिमा तुझाची अपरंपारु II असे जगत जननी गुरु माता I तुज नमो श्री काशिनाथा II ८४ II श्री समर्था गुरु काशिनाथा I गुरु यल्लालिंग चरणार विन्दी II दर्शन देवूनी दीन जना I घेवूनी आशीर्वाद श्री गुरूंचा II ८५ II श्री काशिनाथ काशिलिंगेश्वरा I त्रिमूर्ती दया सिंधु II आदीनाथ तूची श्री गुरु I तुज नमो गुरु माऊली II ८६ II सिद्धार्थ सिद्धरूपी श्री गुरु I श्रीपाद श्री वल्लभ श्री गुरु II अवधूत स्वामी समर्थ श्री गुरु I तुज मुखी सदैव प्रणवध्वनी II ८७ II अवतारा माजी अवतारु I नृसिंह सरस्वती स्वामी समर्था II  काशिनाथ नामे प्रगटलासी I पंचम  

                                                                    काशिनाथामृत                                            पान. क्र ~ १५   ~

अवतारी प्रगटलासी II ८८ II श्री गुरु समर्था श्री गुरु I त्रिमूर्ती भक्त वत्सला II जन कल्याणकारी विश्वेश्वरा I तुज नमो गुरु काशिनाथा II ८९ II विघ्नहर्ता सर्व सुखकारी I दीनानाथा आदिनाथ  श्रीधरा II अवधूत स्वरूपी सदानंद I परब्रम्ह स्वरूपी श्रीगुरु II ९० II काशिनाथा विश्वनाथा I परम दयाळा करुणानिधी II विश्वात्मका विश्वनाथा I  तुजनमो श्री काशिनाथ II ९१ II दयासागरा  श्री गुरुराया I वृषभ ध्वजा त्रिमूर्ती II भक्तवत्सला त्रिमूर्ती I ज्ञानराजा कृपा करी II ९२ II श्री गुरु त्रिमूर्ती अवतारु I त्रिलोकी वसशी भूवरी II अभयदाता श्रीधरा I परमात्मा तूची श्रीगुरु II ९३ II नाना रत्ने विभूषित I उपदेश करिसी भक्त जना II काखे झोळी कंठी रुद्राक्षमाळा I भाळी शोभतसे त्रिपुंड II ९४ II भस्म च्रचोनि कपाळी I हाती त्रिशुळ कंठी मुंड माळा II पायी खडावा गर्जती I ध्वनी निनादे त्रिभुवनी II ९५ II गर्जती आकाश पातळ I माथा जटा भार चुंबळी II श्री काशिनाथ श्री गुरु I काशी विश्वनाथ अवतारु II ९६ II  प्रगटलासी अवनीवरी II श्री गुरु समर्था श्री गुरु II भक्त जन सदा वंदू II अवधूत सदानंद स्वरूपी II ९७ II परब्रम्ह स्वरूपा श्री गुरु I काशिनाथा विश्वनाथा II स्वयं 

                                                                    काशिनाथामृत                                            पान. क्र ~ १६   ~

तूची श्री गुरु I देह तादात्म्य अंतरी खुणा II ९८ II वक्षस्थानी शिव शंभो दर्शन I निरखोनी पाहता नेत्र पटल II शिवावतार  दृष्टी गोचरु I दर्शन होता चरणारविंदी II ९९ II भाव उमटे अंतरी I मन शांत होते तत्क्षणी II प्रीती ओसंडते अंतरी I भक्ता लागी धावुनी येशी II १०० II भक्त वत्सला श्री गुरु I तारावया अज्ञान पामरा II सत्वर धावसी भक्ता ठायी I जो जो भक्त असे सेवा परायण II १०१ II सत्वर पावसी भक्त जना I देता झाला आशीर्वादू II पावन करसी भक्ता लागी I सर्वाठायी समभाव प्रीती II १०२ II अखंड वर्षतसे प्रेम वृष्टी I प्रेमामृताच्या अमृत प्राशने II श्रीपाद पदमी नमो नमः I श्री गुरु समर्थ रमती अंतरी II १०३ II विश्वात्मके विश्वेश्वरु I श्री सद्गुरू नाथा तुज नमो II अनंत कोटी ब्रम्हांड नायका  विश्वंभरा I जगदउद्धारा जन कल्याणा II १०४ II वंदन भावे तुजस्वरूपा I त्रिमूर्ती तुजवंदु II श्री काशिनाथ काशिलिंग गंगा तटी I कृपा करावी प्रजा जना II १०५ II ज्ञानामृताच्या प्राशने क्षुधा होई शांत I  सद्गुरू नाथा तुज नमो: II भक्त म्हणतसे श्री गुरुप्रती I श्री सद्गुरूनाथ माझे आई II १०६ II विनंती करीतसे चरणार विंदी I   

                                                                    काशिनाथामृत                                            पान. क्र ~ १७   ~

आता सांगावे गुरु माउली II आत्मज्ञान रूपी वाक्याप्रीती Iतत्व ज्ञान प्राप्त व्हावे त्वरी II १०७ II तत्वमसी हिरण्य गर्भासी I मज कळों येईल पामरा II श्री गुरु परम पुरुषा I आधी वंदू तुज माऊली II १०८ II त्रिवार करोनि नमस्कारु I हीच विनवणी पाद्पदमी II बाबासो भक्त असे कर्नाटकी I भार्या त्याची पतिव्रता II १०९ II दोघेही कष्टती रात्रंदिनी I मुखी नाम हाती काम II पतिव्रता नाम लाडली माबी I अखंड रमती शिव पुजनी II ११० II पती पत्नी दोघेही बहू कष्टती I देह कष्टवती परोपकारे II परी पोटी नसे पुत्र प्राप्ती I दोघेही उदास वृत्ती II १११ II ऐकोनि स्वामी लीला I अक्कलकोटी स्वामी समर्थ II परम पूज्य स्वामीनाथ I वटवृक्ष बुंध्यासी निवास असे II ११२ II भक्त एक असे दृष्टिमंद I कृपा केली तयाप्रती I दृष्टी देऊनि तत्क्षणी I उद्धरिले इह लोकी  II ११३ II ख्याती ऐकोनि प्रसन्न झाले I जावोनि चरणी घालती साष्टांग I दर्शन होताची स्वामींनी I अंतःकरण जाणिले II ११४ II समर्थ म्हणती उभयंतांशी I त्वरित जावे आपुल्या ग्रामी I ऐकोनि स्वामींचे वचना I स्वग्रामी निघाले दोघेही II ११५ II फिरुनी देखता स्वामी चरण I आनंद
 
                                                                    काशिनाथामृत                                            पान. क्र ~ १८   ~

पावले दोघेही II स्वगृही येता क्षणी I आठवूनी स्वामी मूर्ती II ११६ II मानसपूजा करिते झाले I संकल्प करोनी नित्य पूजेचा II धुपारती घेवूनी हाती I ओवाळती स्वामी राया II ११७ II नैवद्य दाविती तया प्रती I मागुती घेती चरण दर्शन II ऐसा संकल्प करुनी मनी I सेवा करिते झाले दोघेही II ११८ II लोटता सहा सात मास I दृष्टांत दिधला स्वामी समर्थानी II निद्रिस्त असता दोघेही I स्वप्न पडले उत्तर रात्री II ११९ II येऊनी दर्शन देती II सांगते झाले दोघांप्रती II येतो तुमच्या गृहासी I दाल रोटीच्या भोजना II १२० II ऐकूनी स्वामींचे वचन I ब्राह्मी मुहूर्त उठुनी  II करीते झाले स्नानादी I ब्राह्मी मुहूर्ती करुनी पूजन II १२१ II चरण दर्शन घेतसे दोघेही Iभार्या करती दाल रोटी प्रसाद II माध्यान्ही बारा वाजले I स्वामी नामात रमले दोघेही  II १२२ II दृष्टी लाऊनी अक्कलकोटी I वाट पाहती दोघेही II सूर्य आस्तंचली आला I दर्शन नाही स्वामी राया II १२३ II मन झाले बैचैन I उदासीन झाले दोघेही II  भार्या म्हणतसे पतीशी I नैवेद्य दाखवा स्वामीप्रती     II १२४ II समय झाला सायंकाळ I मनी  धरुनी निर्धार II उपवास केला निराहार I संकल्प असता नित्य 

                                                                    काशिनाथामृत                                            पान. क्र ~ १९   ~

नैवेद्य II १२५ II माध्यान्ह होता दाखविती I नित्य नियमे करीतसे पूर्ण II नऊ मास लोटले पूर्ण I दर्शन नाही स्वामींचे II १२६ II दोघेही झाले निराश I दीन क्रमणा करीतसे II अखंड रहाती स्वामी नामात I तव दया आली स्वामी प्रती II १२७ II साधू वेष घेऊनी I अंगी महारोग धारण करुनी II काया गळतसे रक्त पीप I आकस्मात आले भक्ताद्वारी II १२८ II  पाहताची साधू प्रति I दुर्गंधी सुटली दूरवरी II बदलुनी आपले रूपा I साधू वेष धारण करुनी II १२९ II परीक्षा पहाती दोघांची I म्हणतसे आक्रोश  करुनी II हात लाऊन उदराशी I  माझे उदर आहे रिक्त II १३० II सात दिवसाचे उपवासी I मजसी भोजन द्यावे सत्वरी II हीच विनवणी तुम्हाप्रती I हात लाऊनी पोटाशी II १३१ II दया येताची उभयंता I भोजन शोधिता गेले घरा II नवल झाले एक ऐका I भोजन पात्रे झाली गुप्त II १३२ II घर शोधिले चहुबाजू I रिक्त होते सर्व घर II देह भान हरवले दोघांचे I हात लावूनी भाळी II १३३ II बैचैन झाले दोघेही I आता काय वाढावे साधुप्रती II काही कळेना उभयताशी I स्वामीसाठी ठेवलेला नैवैद्य II १३४ II झाले होते नऊ मास I बुरशी आली नैवेद्याशी 

                                                                    काशिनाथामृत                                            पान. क्र ~ २०  ~
















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